RIC गठबंधन की वापसी: रूस ने फिर मिलाया भारत-चीन से हाथ, अमेरिका पर बढ़ेगा दबाव - Bindass Boliyan

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RIC गठबंधन की वापसी: रूस ने फिर मिलाया भारत-चीन से हाथ, अमेरिका पर बढ़ेगा दबाव

RIC गठबंधन की वापसी: रूस ने फिर मिलाया भारत-चीन से हाथ, अमेरिका पर बढ़ेगा दबाव
नई दिल्ली, 30 मई 2025 

 यूक्रेन युद्ध के बीच रूस ने एक बार फिर भारत और चीन के साथ त्रिपक्षीय सहयोग (RIC – Russia-India-China) को मजबूत करने की पहल की है। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने 29 मई को पर्म शहर में आयोजित एक यूरेशियन सुरक्षा सम्मेलन में ऐलान किया कि अब समय आ गया है कि रूस-भारत-चीन (RIC) प्रारूप की बैठकें दोबारा शुरू की जाएं।
लावरोव ने कहा, “हम मानते हैं कि भारत और चीन के बीच सीमा तनाव को लेकर कुछ हद तक समाधान निकल चुका है और ऐसे में RIC प्रारूप के भीतर सहयोग फिर से शुरू करना ज़रूरी हो गया है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि मॉस्को इस त्रिपक्षीय पहल को पुनर्जीवित करने में गंभीर रुचि रखता है।

क्या है RIC फॉर्मेट?
RIC यानी Russia-India-China त्रिपक्षीय समूह की शुरुआत रूस के पूर्व प्रधानमंत्री येवगेनी प्रिमाकोव ने की थी। इसका मकसद बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा देना था, जिसमें एशिया की तीन प्रमुख शक्तियां आपसी सहयोग से दुनिया में संतुलन स्थापित करें। इस समूह के तहत अब तक 20 से अधिक उच्च स्तरीय बैठकें हो चुकी हैं, जिनमें विदेश मंत्री, व्यापार प्रतिनिधि और सुरक्षा विशेषज्ञ शामिल रहे हैं।
हालांकि, जून 2020 में गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच हुई झड़प के बाद यह फॉर्मेट ठंडे बस्ते में चला गया था। उस घटना के बाद भारत-चीन संबंधों में गहरा तनाव आ गया था।

लावरोव की संभावित भारत यात्रा
रूसी दूतावास के सूत्रों के अनुसार, सर्गेई लावरोव अगले महीने भारत की यात्रा पर आ सकते हैं। यह यात्रा जून के अंत में संभावित है, हालांकि आधिकारिक तारीख की घोषणा अभी नहीं हुई है। यह यात्रा राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की प्रस्तावित भारत यात्रा के लिए ग्राउंडवर्क तैयार करने की दिशा में अहम मानी जा रही है।
27 मार्च को लावरोव ने खुद पुष्टि की थी कि राष्ट्रपति पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निमंत्रण स्वीकार कर चुके हैं और उनकी भारत यात्रा की तैयारियां चल रही हैं। अगर यह दौरा होता है, तो 2021 के बाद यह पुतिन की पहली भारत यात्रा होगी।

यूक्रेन युद्ध और रूस की कूटनीति
2022 में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस ने पश्चिमी देशों से दूर होते हुए एशियाई देशों के साथ संबंधों को और गहरा किया है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर रूस के खिलाफ कड़े प्रस्तावों से हमेशा दूरी बनाई है, जिससे मास्को-नई दिल्ली के रिश्तों में मजबूती बनी रही है।
2023 में इंटरनैशनल क्रिमिनल कोर्ट ने राष्ट्रपति पुतिन के खिलाफ युद्ध अपराधों को लेकर गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, जिसके बाद पुतिन ने बहुत सीमित अंतरराष्ट्रीय यात्राएं की हैं। ऐसे में भारत उनकी विदेश नीति के लिहाज़ से एक अहम साझेदार बना हुआ है।

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